Monday, June 28, 2010

पति के बाईं और बैठें, प्रेम बढ़ेगा


-डॉ. अशोक प्रियरंजन
भारतीय संस्कृति में पत्नी को वामांगी भी कहा गया है। यही वजह है कि विवाह की रस्म पूरी होने केपहले तक लड़की को दाईं तरफ बैठाया जाता है। विवाह केफेरे लेने के बाद सिंदूर लगाने की रस्म के समय कन्या को दाईं तरफ बैठाया जाता है और उसके बाद फिर वह बायीं ओर बैठती है, उस वक्त वह वामांगी कहलाने लगती है। इसकेपीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है। मनुष्य का हृदय बाईं तरफ होता है। प्रेम की भावनाएं हृदय में ही जन्म लेती हैं और वहीं विराजमान रहती हैं। मनुष्य जिससे सर्वाधिक प्रेम करता है, वह उसके बाईं ओर बैठे तो हृदय उसके अधिक निकट होगा और प्रेम बढ़ेगा। सांसारिक जीवन में पत्नी प्रेम की संवाहक होती है। मान्यता है कि विवाहोपरांत मनुष्य अपने हृदय में पत्नी को बसा लेता है, इसलिए बाईं ओर उसका स्थान सुरक्षित हो जाता है। विवाह के दौरान विविध मंत्रों और रस्मों का उद्देश्य पति-पत्नी के प्रेम को प्रगाढ़ करना भी होता है। भोजन करते समय, सुंदर वस्त्र पहनने पर और बुजुर्गों, संतों, सन्यासियों से आशीर्वाद लेते समय पत्नी को पति केबाईं तरफ ही रहना चाहिए। शुभ कार्यों, मंदिर में देवी देवताओं की मूर्ति के समक्ष नमन, पूजा-अर्चना करते समय भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि विवाहिता पति के बाईं ओर ही स्थान ग्रहण करे। हालांकि कुछ अवसरों को इससे मुक्त रखा गया है।
(फोटो गूगल सर्च से साभार)

Wednesday, June 16, 2010

सिंदूर करता है मंगल को प्रसन्न


-डॉ. अशोक प्रियरंजन
भारतीय हिंदू समाज में ग्रहों की शांति केअनेक उपायों को जीवन शैली में शामिल कर लिया गया है। उन्हीं में से एक है, महिलाओं का सिंदूर लगाना। सभी हिंदू विवाहित महिलाएं सिंदूर लगाती हैं, लेकिन बहुत कम महिलाओं को इसकेलगाने की सही वजह मालूम होगी। अधिकतर महिलाएं इसे सुहाग चिह्नï के रूप में अनिवार्य मानती हैं। सिंदूर ही नहीं शुभ अवसरों पर लाल रंग की साड़ी या चुनरी, महावर आदि का प्रयोग भी किया जाता रहा है। आज भी महिलाएं इन परंपराओं का पालन कर रही हैं, लेकिन लाल रंग से सजने-संवरने के कारणों का उन्हें ज्ञान नहीं है। दरअसल, महिलाओं में रक्त के क्षरण की समस्या ज्यादा होती हैं। मासिक धर्म के चलते कई बार महिलाएं रक्त अल्पता और हीमोग्लोबिन की कमी का शिकार हो जाती हैं। रक्त का कारक मंगल ग्रह है। मंगल ग्रह की कृपा से रक्त विकारों का निवारण संभव है। मंगल का प्रिय रंग लाल है। इसीलिए प्राचीन काल से महिलाओं को लाल रंग केवस्त्र और श्रंृगार में लाल रंग का अधिकाधिक प्रयोग करने पर जोर दिया गया है। लाल रंग का सिंदूर भी मंगल को प्रसन्न करता है। मंगल की कृपा हो जाए तो महिलाएं रक्त विकारों से बची रह सकती हैं। ( फोटो गूगल सर्च से साभार )